भगवान विष्णु एक बार एक सुंदर स्त्री मोहिनी का रूप धारण कर देवताओं के विरोधी असुरों को मोह कर देवताओं की सहायता की। उन्हें उनसे अमृत बचाना था, जो क्षीर सागर के मंथन से प्राप्त हुआ था। इस महान मिथकीय कथा के निरूपण हेतु प्राचीन युग की देवदासियों (मंदिर के नृत्यांगनाएं) ने इस नृत्य शैली की शुरुआत की, और इस तरह संसार को मोहिनियाट्टम नामक इस अद्भुत शास्त्रीय नृत्य शैली का उपहार मिला।
मंथर देह गति, कूल्हों और आंखों की लहरदार ताल का ललित सामंजस्य जो दर्शकों के हृदय पर जादू कर देते हैं इस ऐतिहासिक कला रूप की मुख्य पहचान हैं। देवदासियों से संबंधित होने के कारण ‘दासियाट्टम’ कही जाने वाली यह नृत्य शैली मोहिनियाट्टम 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच चेर शासन के दौरान बहुत लोकप्रिय थी। इसकी सुंदर वस्त्रसज्जा, पारंपरिक आभूषण और मोहक श्रृंगार केरल की संस्कृति के समानार्थी हैं। दुनिया भर से बड़ी संख्या में दर्शक इस मोहक प्रस्तुति का आनंद लेने यहां पधारते हैं।