अट्टप्पाडी केरल की सबसे बड़ी आदिवासी बस्तियों में शुमार है। यह पहाड़ी इलाका विशाल ‘शिवलिंग’ के रूप में अपनी पर्वत चोटी ‘मल्लीश्वरन’ के पूजन और मल्लीश्वरम मंदिर में शिवरात्रि उत्सव के लिए प्रसिद्ध है जो कि इस इलाके का एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है। भवानी नदी इस उत्सव का अभिन्न अंग है। इस अनोखे स्थल की अनोखी खूबसूरती के संरक्षण के लिए यह इलाका सरकारी संरक्षण के अंतर्गत आता है। इस संरक्षित क्षेत्र में अभी इरुला, मुडुगा और कुरुम्बर जनजाति समुदाय निवास करते हैं। इनकी जनसंख्या घटती गई है लेकिन यह स्थाल अब भी पालक्काड जिले के सबसे खूबसूरत स्थलों में शुमार है।
एक पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस, एक वीआईपी गेस्ट हाउस और कुछ निजी होटल हैं जो मण्णारक्काड से 23 किमी उत्तरपूर्व स्थित अगलि में पर्यटकों के रहने की सुविधा प्रदान करते हैं।
नजदीकी रेलवे स्टेशन: पालक्काड, मण्णारक्काड से लगभग 40 कि.मी. और कोयम्बत्तूर, पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में, अगलि से लगभग 50 कि.मी. |
नजदीकी एयरपोर्ट: कोयम्बत्तूर, पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में, पालक्काड से लगभग 55 कि.मी. |
जिला मुख्यालय से दूरी: 3800 मी. उत्तर पूर्व दिशा में |
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