गुरुवायूर में ऐतिहासिक श्री कृष्ण मंदिर स्थित है जिसे दक्षिण का द्वारका कहते हैं। यह केरल सहित संपूर्ण देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित और विख्यात तीर्थ स्थलों में से एक है। माना जाता है मुख्य मंदिर का पुनर्निर्माण सन 1638 में हुआ था। स्थापत्य शैली और मंदिर के अंदरूनी स्थापत्य के तत्व इस स्थान के इतिहास को बहुत ही सुंदर तरीके से प्रदर्शित करता है।
परंपरा के अनुसार यह मंदिर दो गोपुरमों (मंदिर का प्रवेश द्वार) के साथ पूरब की ओर उन्मुख है, एक गोपुरम पूरब (किज़क्के नडा) और दूसरा पश्चिम (पडिंजारे नडा) दिशा में है। नालंबलम (वर्गाकार स्तंभ) के सम्मुख और पूरब की ओर प्रकाश स्तंभ हैं जिन्हें दीपस्तंभम कहते हैं। मंदिर में ऐसे कई प्रकाश स्तंभ हैं। पूर्वी दिशा का दीपस्तंभम 24 फीट ऊंचा है और इसमें तेरह गोलाकार थाली नुमा पात्र लगे हैं जिनमें दीप जलने पर अद्भुत छटा उपस्थित होती है। यहां का अन्य विख्यात दर्शनीय तत्व है ध्वजस्तंभ। यह 70 फीट ऊंचा एक ध्वज का स्तंभ है- पूरी तरह सोने से ढका हुआ।
वर्गाकार श्री कोविल में दो सीढ़ियां और अंदर तीन कमरे हैं और एक गर्भगृह। यहीं पर श्री कृष्ण की प्रतिमा स्थापित है। यहां मंदिर के अंदर आप भगवान गणपति, भगवान अय्यप्पा और इडत्तेडत्त काविल भगवती की प्रतिमाएं भी देख सकते हैं। मंदिर की आरोग्य महिमा के कारण यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। मंदिर में प्रवेश केवल हिंदुओं को मिलता है।
03:00 - 12:30 बजे और 16:30 - 21:15 बजे
यहां पहुंचने के लिएनजदीकी रेलवे स्टेशन: गुरुवायूर, रेलवे एनक्वायरी, फोन: +91 487 2554300, 2556820
नजदीकी एयरपोर्ट: कोच्चिन इंटरनेशनल एयरपोर्ट, लगभग 87 कि.मी.
अक्षांश: 10.594671, देशांतर: 76.039733
भौगोलिक जानकारीजिला मुख्यालय से दूरी: 2900 मी पश्चिम दिशा में |
डिपार्टमेंट ऑफ़ टूरिज्म, गवर्नमेंट ऑफ़ केरल, पार्क व्यू, तिरुवनंतपुरम, केरल, भारत - 695 033
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