इंडियन स्कूल ऑफ मार्शल आर्ट्स, कलरिप्पयट्ट् कहलाने वाली प्राचीन मार्शल आर्ट (युद्ध कला) का एक प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र है। 1983 में स्थापित आईएसएमए या कलरियिल धार्मिकम आश्रम बहुतों के लिए स्वास्थ्यलाभ और नवजीवन प्राप्ति का स्थान है। यह सब कुछ श्री बालचंद्रन नायर के नेतृत्व में संभव हुआ जो योद्धा-चिकित्सक परिवार से आते हैं। उनका मानना है कि कलरिचिकित्सा जिसकी उत्पत्ति सिद्धवैद्यम (आयुर्वेद के समांतर एक चिकित्सा पद्धति), धनुर्वेद (आयुर्वेद की जननि) और ओलग्रंथ (सूखे ताड़ पत्रों पर रचित पांडुलिपि) से हुई है। इसका विकास इस कला के अभ्यासियों के लिए विशेष रूप से हुआ। इसकी शिक्षाएं मानव शरीर में स्थित 108 तंत्रिका दाब बिंदुओं (नर्व प्रेशर पॉइंट्स) यानी ‘मर्म’ पर आधारित है।
इस क्षेत्र में वर्षों के अनुभव और अनुसंधान के बाद आधुनिक मेडिकल मानदंडों की बजाए सारा ध्यान अंतःप्रज्ञा के निर्माण पर दिया गया है। आईएसएमए के अपने कलरी क्षेत्र में तीन मंजिला कॉम्प्लेक्स है। इस कॉम्प्लेक्स में एक ही वृक्ष से निर्मित 600 साल पुराना एक मसाज टेबल रखी हुई है। ध्यान कक्ष और रूफ गार्डन यहां की अन्य रोचक चीजें हैं। यहां रहने के इच्छुक सभी लोगों के लिए सामान्य सुविधाएं उपलब्ध हैं और साथ में प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ने की सुविधा भी। यहां का अनुभव सही मायने में शैक्षिक और ऊर्जादायी है।
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