आकर्षण: पैलेस (महल), फोकलोर म्यूजियम (लोक संग्रहालय) और न्यूमिस्मैटिक्स म्यूजियम (मुद्रा-विज्ञान संग्रहालय)।
प्रवेश समय: सोमवार को छोड़कर अन्य सारे दिन- 09:00 से 17:00 बजे तक।
कोयिक्कल पैलेस का निर्माण 1677 से 1684 के बीच वेनाड राजघराने की रानी उमयम्मा द्वारा कराया गया था। आज, यह पैलेस फोकलोर म्यूजियम (लोक संग्रहालय) और न्यूमिस्मैटिक्स म्यूजियम (मुद्रा-विज्ञान संग्रहालय) के लिए जाना जाता है। प्राचीन वस्तुओं का इसका अनोखा संग्रह आपको केरल के अतीत को समझने में मदद करता है और राज्य भर से यहां बड़ी संख्या में दर्शक आते हैं।
यह दो मंजिला भवन है और अपनी नुकीली (सूच्याकार) छतों के लिए प्रसिद्ध है। फोकलोर म्यूजियम की स्थापना 1992 में हुई और इसमें पुराने वाद्ययंत्रों, घरेलू बर्तनों और लोककलाओं के नमूने आदि वस्तुएं संग्रहीत हैं। इस राज्य में आप केवल इसी जगह पर चंद्रवलयम देख सकते हैं। यह छोटा सा आधात-वाद्ययंत्र तब बजाया जाता था जब रामकथाप्पाट्ट (भगवान राम की कहानी) का वाचान होता था। इस म्यूजियम में पहले के राजघरानों द्वारा प्रयुक्त आभूषणों और सजावटी वस्तुओं के साथ-साथ पुरानी पांडुलिपियां भी सुरक्षित रखी गई हैं।
न्यूमिस्मैटिक म्यूजियम (मुद्रा-विज्ञान संग्रहालय) एक अन्य विशिष्ट केंद्र हैं जहां आप दुर्लभ सिक्कों का संग्रह देख सकते हैं और इनकी मदद से दुनिया के बाकी देशों के साथ केरल के अतीत के व्यापारिक संबंधों की कल्पना कर सकते हैं। यहां केरल के कुछ प्राचीनतम सिक्के - ओट्टपुत्तेन, इरट्टपुत्तेन और कलियुगरायन पणाम सुरक्षित रखे गए हैं। ईसा मसीह को भेंट किया गया दुर्लभ सिक्का अमैडा भी यहां प्रदर्शित है। 2500 वर्ष पुराने कार्षा सिक्के, राशि सिक्के (दुनिया के सबसे छोटे सिक्के), रोमन साम्राज्य के सिक्के और भारत के विभिन्न राजवंशों के सिक्के भी यहां प्रदर्शित हैं। यह इतिहास का एक प्रामाणिक धरोहर है।
नजदीकी रेलवे स्टेशन: तिरुवनंतपुरम सेंट्रल, लगभग 18 कि.मी. |
नजदीकी एयरपोर्ट: त्रिवेंद्रम (तिरुवनंतपुरम) इंटरनेशनल एयरपोर्ट, लगभग 24 कि.मी.|
अक्षांश: 8.61361, देशांतर: 77.00243
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