प्रवेश समय: 10:00 - 17:00 बजे तक, शुक्रवार को छोड़कर सभी दिन।
मट्टान्चेरी महल, जिसे डच पैलेस भी कहा जाता है, केरल शैली के वास्तु का एक बेहतरीन उदाहरण है जिसमें औपनिवेशिक काल का प्रभाव है। यह एरणाकुलम से लगभग 12 किमी दूर स्थित है। फुर्तगालियों द्वारा 1545 ई. में इसका निर्माण कोच्चि राजवंश के राजा वीर केरल वर्मा को भेंट स्वरूप देने के लिए किया गया था। इसे डच पैलेस कहा जाता है क्योंकि इसमें डच के हाथों से मुख्य मरम्मतें हुई थीं। यह अपने लंबे और विस्तृत हॉल के लिए प्रसिद्ध है जिसके बीच में प्रांगण है। इसमें शाही परिवार के देवता पषयन्नूर भगवती (पषयन्नूर के देवता) की भी स्थापना है।
इस दोमंजिले महल में भित्तिचित्रों के सुंदर संकलन हैं। इसके जरिए भारत के कुछ महान महाकाव्यों को दिखाया गया है जैसे रामायण और महाभारत और साथ ही हिंदू संप्रदाय के पूजनीय भगवानों के भित्ति चित्र भी मौजूद हैं जैसे गुरुवायूर मंदिर के भगवान कृष्ण। इसमें महान कवि कालिदास की रचनाओं को भी दिखाया गया है। भित्ति चित्र लगभग 300 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हुए हैं। यहां के कुछ अन्य प्रदर्शनों के जरिए शाही परिवार के जीवन के बारे में जाना जा सकता है। इसमें शामिल हैं 1864 के बाद से कोचीन के राजाओं के चित्र, म्यान में रखी तलवारें, डैगर्स और कुल्हाड़ियां और साथ ही पंखों से सुसज्जित समारोही बरछे। रॉयल कैप, कोचीन के राजाओं द्वारा जारी किए गए सिक्कों के साथ-साथ डच द्वारा कोचीन के लिए तैयार की गई योजनाओं को भी यहां देखा जा सकता है।
नजदीकी रेलवे स्टेशन: एरणाकुलम, लगभग 10 कि.मी. |
नजदीकी एयरपोर्ट: कोच्चिन इंटरनेशनल एयरपोर्ट, लगभग 42 कि.मी. |
अक्षांश: 9.958241, देशांतर: 76.259272
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