स्थल: कोडुंगल्लूर भगवती मंदिर
स्थान: कोडुंगल्लूर
जिला: तृश्शूर
कोंडुंगल्लूर के श्री कुरुंबा भगवती मंदिर का वार्षिक यह उत्सव संपूर्ण केरल में कोडुंगल्लूर भरनी के नाम से प्रसिद्ध है। यह समारोह मलयालम महीना मीनम (मार्च-अप्रैल) में आयोजित होता है।
भरनी उत्सव का मुख्य कार्यक्रम है अश्वती कावुतींडल, जिसका आयोजन भरनी नक्षत्र से एक दिन पहले होता है। और इस दिन श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर के अंदर हर तरह लाल ही लाल देखने को मिलता है जब भविष्यवक्ताओं या भगत/भगतिन (वेलिच्चप्पाड) के झुंड अपनी देवी को प्रसन्न करने के लिए भावमग्न अवस्था में नृत्य करते हैं। यह उन सभी के लिए रहस्य-रोमांच से भरा अनुभव है जो यहां इसे देखने आते हैं। श्रद्धालुओं का समूह पूर्ण श्रद्धा के साथ भगतों के साथ जिस आध्यात्मिक उत्तेजना के साथ नृत्य करते हैं वह देखने लायक होता है।
भगत और भगतिन मंदिर के चारों ओर फिरते हैं और अपने सिर पर तलवार से प्रहार करते हैं जिससे वे मातृ देवी के साथ अपना संयोजन प्रदर्शित करते हैं। श्राद्धालु गण मंदिर के शहतीर पर छड़ी से प्रहार करते हैं और छत पर और अंदर के आंगन में चढ़ावा घुमाकर उछालते हैं। भरनी समारोह देवी भद्रकाली की उत्पत्ति का उत्सव है जो पौराणिक गाथाओं के अनुसार भगवान शिव के तीसरे नेत्र से प्रकट हुई थीं और दारिका नामक असुर का नाश किया था। यह अत्यंत महत्वपूर्ण उत्सव है, खासकर उत्तरी केरल का।
माना जाता है मंदिर के अनुष्ठान कोडुंगल्लूर और चेर शासन के अधीन पड़ने वाले थोंडी, जो चेरों की द्वितीय राजधानी भी थी, के प्राचीन संबंधों से उद्भूत हुए। हर साल लोग इस त्योहार की प्रतीक्षा बड़ी बेसब्री से करते हैं।
यहां पहुंचने के लिए
नजदीकी रेलवे स्टेशन: इरिंजालक्कुडा, लगभग 20 कि.मी. |
नजदीकी एयरपोर्ट: कोच्चिन इंटरनेशनल एयरपोर्ट, लगभग 30 कि.मी.|