स्थल: श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर
स्थान: ईस्ट फोर्ट (किषक्के कोट्टा)
जिला: तिरुवनंतपुरम
जब त्रावणकोर (दक्षिण केरल के तत्कालीन रियासत) के इतिहास की बात आती है, तो श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर का अपना विशेष महत्व है। त्रावणकोर के शाही परिवार से निकटता से जुड़े इस मंदिर की कहानी सदियों पूर्व से आरंभ होती है।
श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर का एक मुख्य वार्षिक त्योहार पइन्कुनि उत्सव है। यह कोडियेट्ट से आरंभ होता है – जो उद्घाटन झंडारोहन है। इस त्योहार को मार्च/अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। पइन्कुनि उत्सव के दौरान, पांडवों (महाभारत में राजा पांडु के पाँच पुत्र) का विशाल फाइबर ग्लास की प्रतिमाओं को मंदिर के पूर्वी प्रवेश द्वार पर रखा जाता है। मान्यता के अनुसार, इन मूर्तियों को वर्षा के देवता इंद्र को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है।
पइन्कुनि एक दस दिवसीय त्योहार है, जिसमें हर दिन विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। नौवें दिन त्रावणकोर शाही परिवार के मुखिया किला इलाके में वेट्टक्कोरुमकन मंदिर के समीप पल्लि वेट्टा (शाही शिकार) का अनुष्ठान करते हैं। यह समारोह शंखुमुखम तट की ओर जाने वाले आराट्टु शोभायात्रा से समाप्त होता है, जिसमें प्रतिमाओं को समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है। त्रावणकोर के शाही परिवार के पुरुष सदस्य, जिसमें राजा भी शामिल रहते हैं, इस शोभायात्रा में देव-प्रतिमाओं के साथ चलते हैं।
यहां पहुंचने के लिए
नजदीकी रेलवे स्टेशन: तिरुवनंतपुरम सेंट्रल, लगभग 1 कि.मी. दूर |
नजदीकी एयरपोर्ट: त्रिवेंद्रम (तिरुवनंतपुरम) इंटरनेशनल एयरपोर्ट, लगभग 6 कि.मी. दूर |