स्थल: श्री रुदिरा महाकालिकावु मंदिर
स्थान: वडक्कांचेरि
जिला: तृश्शूर
पारंपरिक वेषभूषा में सजे लगभग इक्कीस हाथियों को रंगबिरंगी छतरियों झूलते हुए वेन्चामरम (सफेद कलगी) और आलावट्टम (मोरपंख से बने पंखे) से सजाया जाता है! निश्चित रूप से यह ऐसा नजारा होता है जिसके आनंद से आप वंचित रहना नहीं चाहेंगे। तो लोकप्रिय रूप से उत्रालिक्कावु पूरम कहलाने वाले श्री रुदिरा महाकालिकावु मंदिर के इस वार्षिक त्योहार में जरूर शरीक हों। यह त्योहार हर वर्ष मलयालम महीना कुंभम (आम तौर पर फरवरी/मार्च) में पड़ता है।
श्री रुदिरा महाकालिकावु मंदिर देवी काली को समर्पित है। उत्रालिक्कावु पूरम क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध त्योहार है। यह एक आठ-दिवसी समारोह है जिसमें दिन और रात में हाथियों की शोभा यात्रा निकाली जाती है। पंचवाद्यम और पांडीमेलम जैसी पारंपरिक संगीत संगोष्ठियां इन शोभायात्राओं को और भी सुंदर बना देती हैं यह त्योहार दर्शकों को केरल के मंदिर और लोक कलाओं का आनंद लेने का अवसर देता है।
यहां पहुंचने के लिए
नजदीकी रेलवे स्टेशन: तृश्शूर, लगभग 21 कि.मी. |
नजदीकी एयरपोर्ट: कोच्चिन इंटरनेशनल एयरपोर्ट, लगभग 72 कि.मी. |