अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

कण्णूर पारंपरिक कला कार्यक्रम

केरल के कई अन्य क्षेत्रों की तरह कण्णूर भी अपनी अनूठी सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है।

इनमें से लोकप्रिय हैं:
तेय्यम एक पवित्र नृत्य अनुष्ठान है जिसे कलाकार जीवंत वेशभूषा में प्रस्तुत करते हैं। वैसे तो यह पूरे साल चलता है, लेकिन तेय्यम का मौसम दिसंबर से मार्च के बीच चरम पर होता है, जो त्यौहारों और धार्मिक आयोजनों के साथ मेल खाता है।

पूरक्कली एक अनुष्ठानिक नृत्य है जो भगवती मंदिरों और पवित्र उपवनों में, विशेष अवसरों, विशेषकर त्योहारों और धार्मिक आयोजनों के दौरान किया जाता है।

कलरिप्पयट्टु केरल की पारंपरिक मार्शल आर्ट है, जिसका इतिहास 1500 साल से भी ज़्यादा पुराना है। कण्णूर के विभिन्न केंद्रों पर पारंपरिक प्रथाओं का पालन करते हुए नियमित प्रदर्शन और प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाते हैं। इसके लिए छात्रों को उच्च स्तर का अनुशासन और ध्यान बनाए रखने की आवश्यकता होती है।

वडक्कन पट्टुकल या उत्तरी गाथाएँ, लोकगीत हैं जो अतीत की वीर गाथाएँ सुनाते हैं। ये गाथाएँ पूरे साल, खास तौर पर त्यौहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान गाई जाती हैं।