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केरल के 10 रंगारंग त्यौहार

केरल की खूबसूरती बेमिसाल है। यहाँ कई तरह के रोमांचक त्यौहार देखने को मिलते हैं। इन सबको ध्यान में रखकर ही वहाँ घूमने जाने की योजना बनाएं। यहाँ के कुछ त्यौहार ऐसे हैं जिन्हें न देखने पर आपको अफसोस होगा।

ओणम
ओणम, केरल का मुख्य त्यौहार है जो इसके अधिकांश हिस्सों में मनाया जाता है। यह त्यौहार, फसल की कटाई के मौसम का प्रतीक है जो दस दिन चलता है। इन दिनों केरल में हर जगह पूक्कलम नाम से जाने जाने वाले फूलों की खूबसूरत सजावट की जाती है। इसके अलावा इस दौरान कथकली और पुलिकली जैसे पारंपरिक नृत्य भी होते हैं, और नाव दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है। इसके अलावा हर जगह ओणम सद्या नामक शानदार भोज भी तैयार किया जाता है। इस दौरान लोग पारंपरिक पोशाक पहनते हैं जिससे यह त्यौहार और मनमोहक हो जाता है।

तृश्शूर पूरम
यह केरल के सबसे प्रतीक्षित मंदिर त्यौहारों में से एक है। इसे तृश्शूर में मनाया जाता है। इस दौरान तरह-तरह के रंगों, पटाखों और सजे-धजे हाथियों का प्रदर्शन किया जाता है। इसमें भाग लेने वाले मंदिरों में बड़े-बड़े शोभायात्रा निकालते हैं, ताल वाद्यों का प्रदर्शन करते हैं, पारंपरिक संगीत बजाते हैं, और एक लुभावनी आतिशबाजी प्रतियोगिता का आयोजन करते हैं जिससे एक आश्चर्यजनक दृश्य का निर्माण होता है।

विषु
विषु मलयालम नव वर्ष के शुभारम्भ का प्रतीक है। इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्यौहार के दौरान विषु कणि, शुभ वस्तुओं की व्यवस्था और विषुक्कैनीट्टम (उपहार) देने की प्रथा है। इस त्यौहार के दौरान होने वाली शानदार आतिशबाजी, पारंपरिक भोज, और सांस्कृतिक प्रदर्शन इस त्यौहार को और आकर्षक बना देते हैं।

तेय्यम
यद्यपि तेय्यम एक एकल त्योहार नहीं है, फिर भी यह एक जीवंत अनुष्ठानिक प्रदर्शन कला रूप है जिसे विशेष रूप से केरल के उत्तरी भाग में हर जगह मनाया जाता है। इस कला रूप के रंग-बिरंगी वेशभूषा, विस्तृत श्रृंगार और विशिष्ट नृत्य-शैली इसे एक अनोखा और आकर्षक सांस्कृतिक अनुभव बनाती है।

आट्टुकाल भगवती मंदिर में पोंगाला
तिरुवनंतपुरम के आट्टुकाल भगवती मंदिर में पोंगाला नामक एक अनोखा उत्सव मनाया जाता है जहाँ हज़ारों महिलाएँ एक साथ मिलकर देवी को प्रसाद के रूप में पोंगाला नामक एक विशेष पकवान बनाती है। इस दौरान राजधानी तिरुवनंतपुरम की सड़कों पर पोंगाला के बर्तनों की कतार लग जाती है। यह त्योहार एकता और सांप्रदायिक सद्भावना के उत्सव के रूप में सामने आता है। इस दौरान महिलाएँ पारंपरिक पोशाक पहनकर, तपती गर्मी में, देवी के लिए प्रसाद बनाती हैं।

आराट्टुपुषा पूरम
आराट्टुपुषा पूरम केरल के सबसे पुराने और सबसे रंगारंग मंदिर त्यौहारों में से एक है। इस दौरान सजे-धजे हाथियों का शानदार शोभायात्रा निकाला जाता है, पारंपरिक ताल-वादक समूह अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करते है। आराट्टुपुषा पूरम का अंतिम समारोह एक जीवंत और उत्सवपूर्ण माहौल बनाता है।

कल्पात्ती रथोल्सवम
कल्पात्ती रथोत्सवम पालक्काड में हर साल मनाया जाने वाला एक रंगारंग रथ उत्सव है। इस उत्सव का मुख्य आकर्षण पारंपरिक संगीत और नृत्य प्रदर्शनों के साथ शानदार ढंग से सजाए गए रथों का शोभायात्रा निकाला जाता है जिसे देखकर भक्तों के साथ-साथ पर्यटकों का मन भी मंत्रमुग्ध हो जाता है।

कडम्मनिट्टा पडयणी
कडम्मनिट्टा पडयणी पत्तनंतिट्टा में मनाया जाने वाला एक अनोखा लोक उत्सव है। इसमें भाग लेने वाले लोग, विभिन्न देवी-देवताओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए रंग-बिरंगे वस्त्र और जीवंत मुखौटे पहनते हैं। इस दौरान पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाए जाते हैं और तरह-तरह के दृश्य देखने को मिलते हैं जो इस उत्सव को और शानदार बना देते हैं।

कोचीन कार्निवल
कोचीन कार्निवल एक जीवंत उत्सव है जिसका आयोजन दिसंबर के आखिरी सप्ताह में होता है। इस दौरान पूरे शहर में रंगारंग जुलूस निकाले जाते हैं, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों और विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, जिसका समापन, नववर्ष की पूर्वसंध्या को एक शानदार जश्न के साथ होता है। सड़कें रंग-बिरंगी सजावट से सजी हुई हैं, जिससे यह उत्सव और उत्साहपूर्ण हो जाता है।

केरल स्कूल कलोल्सवम
केरल स्कूल कलोत्सवम एक पारंपरिक त्यौहार नहीं है, बल्कि यह एक विशाल सांस्कृतिक कार्यक्रम है जिसमें राजकीय सरकारी स्कूलों के छात्र, विभिन्न कला रूपों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। इस दौरान वे नृत्य, संगीत और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों का जीवंत प्रदर्शन करके माहौल को आंददायक और रंगारंग बना देते हैं।