आझी पूजा शबरिमला तीर्थयात्रा के दौरान किया जाने वाला एक अनुष्ठानिक कार्यक्रम है। यह आध्यात्मिक और आत्मसंयमी मनोभाव की प्राप्ति का प्रतीक है। आझी पूजा तीर्थयात्रा के दिन के आसपास की जाती है, जब तीर्थयात्री 41 दिनों तक व्रतपर रहते हैं और मन एवं शरीर की शुद्धि के एक विशेष स्तर तक पहुंच जाते हैं। आझीजलते हुए कपूर से बनाई गई चिता है। श्रद्धालु 'स्वामीये शरणम अय्यप्पा' का जाप करते हैं और चिता की परिक्रमा करते हैं। मन की इच्छाओं के प्रतीक के रूप में नारियल के टुकड़े, चावल के टुकड़े इत्यादि को चिता में डाल दिया जाता है और वे भगवान अय्यप्पा की अग्नि में जल जाते हैं। भक्ति के उत्साह में भरकर कुछ श्रद्धालु इतने अभिभूत हो जाते हैं और उत्साह में आ जाते हैं कि वे आझी में प्रवेश कर जाते हैं और उस जगह पर चारों ओर ज्वाला फैला देते हैं। यह आमतौर पर सुरक्षित होता है और इसमें किसी को चोट नहीं लगती।

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