कर्नाटक राज्य से मैंगलोर (मंगलूरु) या मैसूर (मैसूरु) होते हुए आने वाले श्रद्धालु केरल के मध्य हिस्से में स्थित तृश्शूर शहर आ सकते हैं। इसके बाद वे शबरिमला पहुंचने के लिए मूवाट्टुपुषा-कोट्टयम का रास्ता ले सकते हैं। तृश्शूर से शबरिमला तक की दूरी लगभग 210 किलोमीटर है।

तमिलनाडु या आंध्र प्रदेश के श्रद्धालु कोयम्बत्तूर या गूडलूर से होते हुए तृश्शूर पहुंच सकते हैं। तमिलनाडु राज्य के मध्य भागों से आने वाले तीर्थयात्री मदुरै या कुमिली होते हुए शबरिमला पहुंच सकते हैं। मदुरै से मंदिर तक सड़क की दूरी लगभग 250 किलोमीटर है।

तमिलनाडु के दक्षिणी हिस्से, जैसे नागरकोविल से शबरिमला जाने वाले तीर्थयात्री तिरुवनंतपुरम - कोट्टारक्करा - और अडूर से होते हुए पहुंच सकते हैं। नागरकोविल से शबरिमला की दूरी लगभग 250 किलोमीटर है। तीर्थयात्री तिरुवनंतपुरम से कोल्लम, कायमकुलम, मावेलिक्करा, चेंगन्नूर, तिरुवल्ला से होते हुए भी पहुंच सकते हैं। तमिलनाडु के सेंगोट्टै से आने वाले तीर्थयात्री पहले पुनलूर आ सकते हैं और फिर रान्नी और एरुमेलि होते हुए शबरिमला पहुंच सकते हैं। एरणाकुलम से सड़क के रास्ते आने वाले तीर्थयात्री वैक्कम-एट्टुमानूर मार्ग से कोट्टयम पहुंच सकते हैं और वहां से कान्जिराप्पल्ली-एरुमेलि होते हुए शबरिमला पहुंच सकते हैं। इसकी कुल दूरी लगभग 165 किलोमीटर है।

और आलप्पुष़ा से आने वाले तीर्थयत्री चंगनाश्शेरी-एरुमेलि मार्ग से सड़क के रास्ते शबरिमला पहुंच सकते हैं। आलप्पुष़ा से यात्रा करने के अलावा, तीर्थयात्री तिरुवल्ला, कोषन्चेरी और पत्तनंतिट्टा से होते हुए शबरिमला तक पहुंच सकते हैं, जिसकी दूरी लगभग 125 किलोमीटर है।

शबरिमला पहुंचने के लिए श्रद्धालु तीन मुख्य रास्ते ले सकते हैं - एरुमेलि मार्ग, वण्डिप्पेरियार मार्ग और चालक्कयम मार्ग। एरुमेलि मार्ग में दो चरण हैं - एक एरुमेलि से पम्पा तक और दूसरा पम्पा से सन्निधानम तक। कुल मिलाकर यह रास्ता लगभग 61 किलोमीटर है। वण्डिप्पेरियार मार्ग की कुल दूरी 95 किलोमीटर है। एक बार फिर, श्रद्धालुओं के पम्पा पहुंचने पर तो उन्हें सन्निधानम तक पहुंचने के लिए ऊपर की चढ़ई करनी होगी। इनमें से सबसे आसान रास्ता चालक्कयम है जो पम्पा नदी के निकट है।

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